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Tulsidas ke Dohe in Hindi | तुलसीदास के दोहे सार सहित

By VIRAT CHAUDHARY 24 Comments September 13, 2017

रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास अपने दोहे के लिए भी बहुप्रचलित है, Tulsidas ke Dohe बहुत ही उम्दा, ज्ञानवर्धक और जीवन को उत्कृष्ट बनानेवाले है ।

इसलिए आज हम आप सभी प्रिय पाठकों के लिए तुलसीदास के दोहे अर्थ सहित लेकर उपस्थित हुए है, जो आपको बहुत ही पसंद आएंगे ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है ।

यह भी पढ़ें: Rahim ke Dohe in Hindi

tulsidas ke dohe in hindi

तो आइए पढ़ना शुरू करें Tulsidas ke Dohe with Meaning अपनी सरल Hindi भाषा में ।

Tulsidas ke Dohe Hind with Meaning

तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर ।
बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि मधुर वाणी सभी ओर सुख प्रकाशित करती हैं और यह हर किसी को अपनी और सम्मोहित करने का कारगर मंत्र है इसलिए हर मनुष्य को कटु वाणी त्याग कर मीठे बोल बोलने चाहिए ।

काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान ।
तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान ।

तुलसीदासजी कहते हैं कि जब तक काम, क्रोध, घमंड और लालच व्यक्ति के मन में भरे पड़े हैं, तब तक ज्ञानी और मूढ़ व्यक्ति के बीच कोई अंतर नहीं होता है, दोनों ही एक जैसे हो जाते हैं ।

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर ।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि सुंदर परिधान देखकर न सिर्फ मूढ़ बल्कि बुद्धिमान मनुष्य भी झांसा खा जाते हैं । जैसे मनोरम मयूर को देख लीजिए उसके वचन तो अमृत के समरूप है लेकिन खुराक सर्प का है ।

बचन वेष क्या जानिए, मनमलीन नर नारि ।
सूपनखा मृग पूतना, दस मुख प्रमुख विचारि ।

तुलसीदास कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को उसकी मीठी वाणी और अच्छे पोशाक से यह नहीं जाना जा सकता की वह सज्जन है या दुष्ट । बाहरी सुशोभन और आलंबन से उसके दिमागी हालात पता नहीं लगा सकते । जैसे शूपर्णखां, मरीचि, पूतना और रावण के परिधान अच्छे थे लेकिन मन गंदा ।

तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोई ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोई ।

तुलसीदास कहते हैं कि दूसरों की निंदा करके खुद की पीठ थपथपाने वाले लोग मतिहीन है । ऐसे मूढ़ लोगो के मुख पर एक दिन ऐसी कालिख लगेगी जो मरने तक साथ नहीं छोड़ेगी ।

तनु गुण धन धरम, तेहि बिनु जेहि अभियान ।
तुलसी जिअत बिडम्बना, परिनामहू गत जान ।

तुलसीदास कहते हैं कि सुंदरता, अच्छे गुण, संपत्ति, शोहरत और धर्म के बिना भी जिन लोगों में अहंकार है । ऐसे लोगों का जीवनकाल कष्टप्रद होता है जिसका अंत दुखदाई ही होता है ।

सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु ।
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ।

बहादुर व्यक्ति अपनी वीरता युद्ध के मैदान में शत्रु के सामने युद्ध लड़कर दिखाते है और कायर व्यक्ति लड़कर नहीं बल्कि अपनी बातों से ही वीरता दिखाते है ।

सहज सुहृद गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि ।
सो पछिताइ अघाइ उर अवसि होइ हित हानि ।

अपने हितकारी स्वामी और गुरु की नसीहत ठुकरा कर जो इनकी सीख से वंचित रहता है, वह अपने दिल में ग्लानि से भर जाता है और उसे अपने हित का नुकसान भुगतना ही पड़ता है ।

राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार ।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर ।

अगर मनुष्य अपने भीतर और अपने बाहर जीवन में उजाला चाहता है तो तुलसीदास कहते हैं कि उसे अपने मुखरूपी प्रवेशद्वार की जिह्वारूपी चौखट पर राम नाम की मणि रखनी चाहिए ।

मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक ।
पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित विवेक ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि अधिनायक (लीडर) मुख जैसा होना चाहिए, जो खान-पान में तो इकलौता होता है लेकिन समझदारी से शरीर के सभी अंगों का बिना भेदभाव समान लालन-पालन करता है ।

सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस ।
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि मंत्री, हकीम और गुरु यह तीनों अगर लाभ या भय के कारण अहित की मीठी बातें बोलते है तो राष्ट्र, देह और मज़हब के लिए यह अवश्य विनाशकारी साबित होता है और इस वजह से राष्ट्र, देह और मज़हब का जल्द ही पतन हो जाता है ।

सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि ।
ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकति हानि ।

गोस्वामी जी कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने नुकसान का अंदेशा लगाकर अपने पनाह में आयें शरणार्थी को नकार देते है, वो नीच और पापी होते हैं । ऐसे लोगो से तो दूरी बनाये रखना ही उचित है ।

दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान ।
तुलसी दया न छांड़िए जब लग घट में प्राण ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि दया, करुणा धर्म का मूल है और घमंड सभी दुराचरण की जड़ इसलिए मनुष्य को हमेशा करुणामय रहना चाहिए और दया का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए ।

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह ।
तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह ।

जिस समूह में शिरकत होने से वहां के लोग आपसे खुश नहीं होते और वहां लोगों की नज़रों में आपके लिए प्रेम या स्नेह नहीं है, तो ऐसे स्थान या समूह में हमें कभी शिरकत नहीं करना चाहिए, भले ही वहाँ स्वर्ण बरस रहा हो ।

तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि किसी भी विपदा से यह सात गुण आपको बचाएंगे, 1 –  आपकी विद्या, ज्ञान 2 – आपका विनय,विवेक, 3 – आपके अंदर का साहस, पराक्रम 4 – आपकी बुद्धि, प्रज्ञा 5 – आपके भले कर्म 6 – आपकी सत्यनिष्ठा 7 – आपका भगवान के प्रति विश्वास ।

तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान ।
भीलां लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि समय समय बलवान न मनुष्य महान अर्थात मनुष्य बड़ा या छोटा नहीं होता वास्तव में यह उसका समय ही होता है जो बलवान होता है । जैसे एक समय था जब महान धनुर्धर अर्जुन ने अपने गांडीव बाण से महाभारत का युद्ध जीता था और एक ऐसा भी समय आया जब वही महान धनुर्धर अर्जुन भीलों के हाथों लुट गया और वह अपनी गोपियों का भीलों के आक्रमण से रक्षण भी नहीं कर पाया ।

तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग ।
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग ।

तुलसीदास जी कहते हैं, इस जगत में भांति भांति (कई प्रकार के) प्रकृति के लोग है, आपको सभी से प्यार से मिलना-जुलना चाहिए । जैसे एक नौका नदी से प्यार से सफ़र कर दूसरे किनारे पहुंच जाती है, ठीक वैसे ही मनुष्य भी सौम्य व्यवहार से भवसागर के उस पार पहुंच जाएगा ।

नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु ।
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास ।

तुलसीदास जी कहते हैं कि राम का नाम कल्पवृक्ष (हर इच्छा पूरी करनेवाला वृक्ष) और कल्याण का निवास (स्वर्गलोक) है, जिसको स्मरण करने से भाँग सा (तुच्छ सा) तुलसीदास भी तुलसी की तरह पावन हो गया ।

तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए ।
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए ।

तुलसीदास कहते हैं, भगवान पर भरोसा करें और किसी भी भय के बिना शांति से सोइए । कुछ भी अनावश्यक नहीं होगा, और अगर कुछ अनिष्ट घटना ही है तो वो घटकर ही रहेगा इसलिए अनर्थक चिंता, परेशानी छोड़ कर मस्त जिए ।

 तुलसीदास जी द्वारा लिखी गयी पुस्तकें: (Books Written by Tulsidas)

Ramcharita Manas by Tulsidas

 

Vinay Patrika by Tulsidas

 

Tulsidas Ke Lokpriya Dohe

 


  • Tulsidas ke Dohe in Hindi PDF Free Download
  • Sufi Rumi Quotes in Hindi

तो दोस्तों यह थे महान कवि तुलसीदास के दोहे (Tulsidas ke Dohe in Hindi) और इसका सार हमने हमारी अपनी आसान Hindi भाषा में लिखा है, हमें आशा है की यह दोहे सार सहित आपको बेहद पसंद आयें होंगे और इन दोहों में से आपको अपने जीवन को बेहतर तरीके से जीने की सीख मिली होगी ।

अगर आपको Tulsidas के यह Dohe पसंद आये है तो कृपया इसे अपने पसंदीदा सोसिअल मीडिया पर शेयर जरूर करे और कमेंट्स के माध्यम से हमें आपका प्यार भेजें । दिल से शुक्रिया! 🙂

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मैं विराट आसान है का संस्थापक और मोटिवेशनल लेखक, ब्लॉगर और इंटरप्रेन्योर हूँ.
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यहाँ मैं रेगुलर प्रेरणादायक, आत्मविश्लेषण और आत्मविकास के अत्यधिक प्रभावशाली लेख प्रस्तुत करता हूँ जिसे पढ़कर बेशक आप सब की लाइफ आसान और सफल होगी.
Love You All. :)

Comments

  1. Aditya Singh says

    May 10, 2020 at 11:26 am

    Really amazing Post bro.
    Actually I like the design and post style of your website
    it is simple and elegant which attract visitors like me
    Thanks

    Reply
  2. Umavathi says

    October 15, 2019 at 3:03 pm

    Very nice and useful

    Reply
  3. नितीश कुमार says

    April 29, 2019 at 1:41 pm

    मन प्रफुल्लित हो गया प्रणाम सह धनयवाद

    Reply
  4. राजेश says

    March 13, 2019 at 3:54 pm

    पढ़कर अच्छा लगा
    मेरी तरफ से बधाईयां

    Reply
  5. Ashish Kumar says

    September 23, 2018 at 5:10 pm

    Really amazing Post bro.
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    Reply
  6. Shreyas Nayaka says

    September 1, 2018 at 7:05 pm

    Nice good job

    Reply
  7. mittu says

    July 2, 2018 at 11:11 pm

    thank you sir good article

    Reply
  8. Deepak singh says

    May 19, 2018 at 1:15 pm

    Bahut achha laga padhakar.. Thank U.

    Reply
  9. rajendra says

    January 25, 2018 at 10:12 am

    Bahooot saargarbhi ,thanks for collection .rajendra

    Reply
  10. Kamlendra says

    January 8, 2018 at 7:56 pm

    Kayar man kahu AK adhara Dev Dev also pukhara Ka arth

    Reply
  11. alok rai says

    December 28, 2017 at 12:21 am

    Shri tulsidas ke doho ka sunder collection..aapke blog ka UI bhi gazab hai..

    Reply
    • VIRAT CHAUDHARY says

      January 3, 2018 at 11:51 am

      शुक्रिया आलोक

      Reply
  12. dev says

    October 6, 2017 at 1:48 pm

    apke website ka design mujhe bahut accha laga ye kon sa template hai?
    apke likhne ki style b acchi hai

    Reply
    • VIRAT CHAUDHARY says

      October 13, 2017 at 12:54 pm

      धन्यवाद देव,
      हम Genesis की Magazine Pro थीम यूज़ कर रहे है.

      Reply
  13. Pradeep Kumar says

    October 6, 2017 at 8:36 am

    apki post super hai. Thanks for sharing.

    Reply
    • VIRAT CHAUDHARY says

      October 6, 2017 at 3:56 pm

      शुक्रिया.

      Reply
  14. sudhir sondarva says

    September 26, 2017 at 1:34 am

    इस पोस्ट की जितनी तारीफ करू कम है क्यूकि इसे पढ़ कर मै बिल्कुल भी बोर नही हुआ शुरु से अंत तक मजे से पढ़ा

    और writting skills कमाल की है उम्मीद है ऐसी ही पोस्ट मुझे आगे भी मिलेंगी।

    Reply
    • VIRAT CHAUDHARY says

      September 28, 2017 at 11:25 am

      हमें ख़ुशी है की आपको हमारा काम बेहद पसंद आया, आप ऐसे ही जुड़े रहे हमें हमेशा अपना बेस्ट कंटेंट पब्लिश करते रहेंगे.

      Reply
      • Max says

        September 13, 2018 at 8:56 pm

        Very good thanks for the done

        Reply
  15. aasif ali says

    September 17, 2017 at 6:00 pm

    aapke blog ka design bahut karra hai

    Reply
  16. Deepak says

    September 16, 2017 at 8:30 am

    maja aa gaya sir bhut accha

    Reply
  17. Avinash Chauhan says

    September 14, 2017 at 3:37 pm

    very nice post. thanks for sharing…

    Reply
  18. vinod sain says

    September 14, 2017 at 11:20 am

    सुन्दर लेख धन्यवाद सर

    Reply
  19. Achhipost says

    September 13, 2017 at 7:32 pm

    बहुत ही बढ़िया पोस्ट। तुलसी दास के दोहे सबसे अच्छी चीज सिखाती है। धन्यवाद शेयर करने के लिए

    Reply

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